The 2-Minute Rule for राजनीति विज्ञान

हिमालय के दक्षिण सिन्धु-गंगा मैदान है जो सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों द्वारा बना है। हिमालय (शिवालिक) की तलहटी में जहाँ नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र को छोड़कर मैदान में प्रवेश करती हैं, एक संकीर्ण पेटी में कंकड पत्थर मिश्रित निक्षेप पाया जाता है जिसमें नदियाँ अंतर्धान हो जाती हैं। इस ढलुवाँ क्षेत्र को भाबर कहते हैं। भाबर के दक्षिण में तराई प्रदेश है, जहाँ विलुप्त नदियाँ पुन: प्रकट हो जाती हैं। यह क्षेत्र दलदलों और जंगलों से भरा है। तराई के दक्षिण में जलोढ़ मैदान पाया जाता है। मैदान में जलोढ़ दो किस्म के हैं, पुराना जलोढ़ और नवीन जलोढ़। पुराने जलोढ़ को बाँगर कहते हैं। यह अपेक्षाकृत ऊँची भूमि में पाया जाता है, जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता। इसमें कहीं कहीं चूने के कंकड मिलते हैं। नवीन जलोढ़ को खादर कहते हैं। यह नदियों की बाढ़ के मैदान तथा डेल्टा प्रदेश में पाया जाता है जहाँ नदियाँ प्रति वर्ष नई तलछट जमा करती हैं।

कोणार्क-चक्र - १३वीं शताब्दी में बने उड़ीसा के सूर्य मन्दिर में स्थित, यह दुनिया के सब से प्रसिद्घ ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। आधुनिक भारत

विस्तार से जानकारी हेतु देखें उपयोग की शर्तें

सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार देशों की सूची (नाममात्र)

मुख्य लेख: भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ और भारत के अर्धसैनिक बल

भारतीय ऐतिहासिक स्मारकों का ढेर मुगलों के शासनकाल के दौरान बनाया गया और भारतीय इतिहास का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया। website यहां मुगल साम्राज्य के तहत लोकप्रिय कला और वास्तुकला का एक सारांश है:

(शीर्ष) ऋग्वेद की एक मध्यकालीन पांडुलिपि, मौखिक रूप से, १५००-१२०० ई.

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

आगरा में इतमाद दौला के मकबरे का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था।

हिमालय उत्तर में जम्मू और कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणांचल प्रदेश तक भारत की अधिकतर पूर्वी सीमा बनाता है

कालांतर में लंदन से शांता सोनी द्वारा नवीन भी उल्लेखनीय है.

अमेरिकी संघ का पचासवाँ राज्य बनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने अलास्का किस देश से खरीदा था?

जब यह युद्ध आरम्‍भ हुआ था उस समय भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था। यह काल भारतीय राष्ट्रवाद का परिपक्वता काल था। किन्तु अधिकतर जनता गुलामी की मानसिकता से ग्रसित थी। भारत की जनता, ब्रिटेन के दुश्मन को अपना दुश्मन मानती थी। उस समय तक सरकार को 'माई-बाप' समझने की प्रवृत्ति थी और इसलिए जो भी सहयोग ब्रिटेन की भारत सरकार ने चाहा वो भारत के लोगों ने दिया। भारत की ओर से लड़ने गए अधिकतर सैनिक इसे अपनी स्वामीभक्ति का ही हिस्सा मानते थे। जिस भी मोर्चे पर उन्हें लड़ने के लिए भेजा गया वहां वो जी-जान से लड़े। इस युद्ध में ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ मेसोपोटेमिया (इराक) की लड़ाई से लेकर पश्चिम यूरोप, पूर्वी एशिया के कई मोर्चे पर और मिस्र तक जा कर भारतीय जवान लड़े।

तत्पश्चात् एक सप्ताह से अधिक समय तक जर्मनों ने आमिऐं के निकट लड़ाई जारी रखी, पर वे कैले-पैरिस रेल लाइन पर अधिकार न कर सके। उनका अंग्रेजों को फ्रांसीसियों से पृथक् करने का प्रयास असफल रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *